इस लेख के द्वारा हम भारत के सर्वोच्तम पुरस्कार “Bharat Ratna” के बारे में जानेंगे | इसके अलावा हम भारत रत्न से जुड़े कुछ अनदेखे प्रश्नों पर चर्चा करेंगे |
भारत रत्न
भारत हमारे देश का उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो कला, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण सेवा के लिए तथा उच्चतम स्तर की लोक सेवा को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है। यह भी अनिवार्य नहीं है कि भारत रत्न सम्मान हर वर्ष दिया जाए।
इस पुरस्कार के रूप में दिए जाने वाले सम्मान की मूल विशिष्टि में 35 मिलिमीटर व्यास वाला गोलाकार स्वर्ण पदक, जिस पर सूर्य और ऊपर हिन्दी भाषा में ”भारत रत्न” तथा नीचे एक फूलों का गुलदस्ता बना होता है पीछे की ओर शासकीय संकेत और आदर्श-वाक्य लिखा होता है। इसे सफेद फीते में डालकर गले में पहनाया जाता है। एक वर्ष बाद इस डिजाइन को बदल दिया गया था।
भारत रत्न पुरस्कार की शुरुआत-
इस (भारत रत्न) पुरस्कार की परम्परा 1954 में शुरु हुई थी। सबसे पहला पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्र शेखर वेंकटरमन को दिया गया था। तब से अनेक विशिष्ट जनों को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता पाने के लिए यह पुरस्कार प्रस्तुत किया गया है।
वास्तव में हमारे पूर्व राष्ट्रपति, डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को भी यह भारत रत्न पुरस्कार दिया गया है । इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है, कि भारत रत्न केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाए।
यह पुरस्कार स्वाभाविक रूप से भारतीय नागरिक बन चुकी एग्नेस गोंखा बोजाखियू को दिया गया | इन्हें हम मदर टेरेसा के नाम से जानते है | दो अन्य गैर-भारतीय – खान अब्दुल गफ्फार खान और नेल्सन मंडेला (1990) को भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
2009 में यह पुरस्कार प्रसिद्ध भारतीय गायक पंडित भीमसेन गुरूराज जोशी को भारत रत्न प्रदान किया गया था। 4 फरवरी 2014 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर एवं प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो सीएनआर राव को भारत-रत्न से सम्मानित किया गया।
Who received first Bharat ratna award ?
These three person received first Bharat Ratna award in 1954
- Sarvepalli Radhakrishnan ,
- C. Rajagopalachari,
- C. V. Raman
list of bharat ratna winner(1954 to 2019)
Year | Laureates |
1954 | C. Rajagopalachari
(First recipient of Bharat Ratna Award) |
Sarvepalli Radhakrishnan
(First recipient of Bharat Ratna Award) |
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C. V. Raman
(First recipient of Bharat Ratna Award) |
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1955 | Bhagwan Das |
M. Visvesvaraya | |
Jawaharlal Nehru | |
1957 | Govind Ballabh Pant |
1958 | Dhondo Keshav Karve |
1961 | Bidhan Chandra Roy |
Purushottam Das Tandon | |
1962 | Rajendra Prasad |
1963 | Zakir Husain |
Pandurang Vaman Kane | |
1966 | Lal Bahadur Shastri |
1971 | Indira Gandhi |
1975 | V. V. Giri |
1976 | K. Kamaraj |
1980 | Mother Teresa |
1983 | Vinoba Bhave |
1987 | Khan Abdul Ghaffar Khan |
1988 | M. G. Ramachandran |
1990 | B. R. Ambedkar |
Nelson Mandela | |
1991 | Rajiv Gandhi |
Vallabhbhai Patel | |
Morarji Desai | |
1992 | Abul Kalam Azad |
J. R. D. Tata | |
Satyajit Ray | |
1997 | Gulzarilal Nanda |
Aruna Asaf Ali | |
A. P. J. Abdul Kalam | |
1998 | M. S. Subbulakshmi |
Chidambaram Subramaniam | |
1999 | Jayaprakash Narayan |
Amartya Sen | |
Gopinath Bordoloi | |
Ravi Shankar | |
2001 | Lata Mangeshkar |
Bismillah Khan | |
2009 | Bhimsen Joshi |
2014 | C. N. R. Rao |
Sachin Tendulkar | |
2015 | Madan Mohan Malaviya |
Atal Bihari Vajpayee | |
2019 | Pranab Mukherjee |
Nanaji Deshmukh | |
Bhupen Hazarika |
Which Bharat Ratna was affectionately called rajarshi (भारत के ऐसे व्यक्तित्व जो भारत रत्न से सम्मानित किये गये तथा उन्हें राजर्षि की उपाधि दी गयी) ?
Answer: पुरुषोत्तम दास टंडन |
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन प्रदेश विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष थे। वह हिंदी के अनन्य उपासक थे। विधानसभा में हिंदी का चलन उनके कार्यकाल में ही शुरू हुआ। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी टंडन को राजर्षि की उपाधि ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा ने दी थी।
वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे परंतु कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान की वजहों से राजर्षि टंडन बहुत दिन कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहे | उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। समझौतावादी रवैया उन्हें एकदम स्वीकार नहीं था।
बड़े हिंदी साहित्यकार वियोगी हरि ने अपने संस्मरण में लिखा है-, ‘राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन को उनकी सेवाओं के लिए ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा हुई। वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार और कवि सुमित्रानंदन पंत को ‘पद्म भूषण’ दिया गया।
कोई और होता तो वह इस उपलब्धि पर इतराता घूमता। ढिंढोरा पीटता। पर, राजर्षि टंडन तो अलग ही मिट्टी के बने थे। उन्हें अपने भारत रत्न मिलने की उतनी खुशी नहीं थी जितनी पंत जी को ‘भारत रत्न’ न मिलने का दुख।’
सुमित्रानंदन पन्त जी को भारत रत्न ना मिल पाने पर राजर्षि टंडन जी का विचार-
इस बारे में उन्होंने पत्र लिखा, ‘भारत सरकार की यह उतार-चढ़ाव वाली उपाधियां देना मुझे पसंद नहीं। मुझे ‘भारत रत्न’ और सुमित्रानंदन पंत को ‘पद्मभूषण।’ यह ठीक है कि उम्र में मैं बड़ा हूं। मैने भी काम किए हैं।
पर, आगे चलकर लोग पुरुषोत्तम दास टंडन को भूल जाएंगे लेकिन पंत जी की कविताएं तो हमेशा अमर रहेंगी। उनकी कविताएं लोगों की जुबान पर जिंदा रहेंगी। उनका काम मुझसे ज्यादा स्थायी है। इसलिए सुमित्रानंदन पंत को ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए।’ ऐसे थे राजर्षि टंडन।
वे जन सामान्य में राजर्षि के नाम से प्रसिद्ध हुए।
राजर्षि (संधि विच्छेदः राजा+ऋषि= राजर्षि) अर्थात ऐसा प्रशासक जो ऋषि के समान सत्कार्य में लगा हुआ हो।
कुछ विचारकों के अनुसार स्वतंत्रता प्राप्त करना उनका पहला साध्य था। वे हिन्दी को देश की आजादी के पहले आजादी प्राप्त करने का साधन मानते रहे और आजादी मिलने के बाद आजादी को बनाये रखने का।
टण्डन जी का राजनीति में प्रवेश हिन्दी प्रेम के कारण ही हुआ। १७ फ़रवरी १९५१ को मुजफ्फरनगर ‘सुहृद संघ` के १७ वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर उन्होंने अपने भाषण में इस बात को स्वीकार भी किया था।
Which national leader received Bharat Ratna award posthumously in 2014(2014 में मरणोपरांत किस भारतीय नेता ने भारत रत्न प्राप्त किया) ?
Answer- लाल बहादुर शास्त्री |
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था।उस छोटे-से शहर में लाल बहादुर की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही, उन्हें वाराणसी में चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था ताकि वे उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर सकें।
घर पर सब उन्हें नन्हे के नाम से पुकारते थे। वे कई मील की दूरी नंगे पांव से ही तय कर विद्यालय जाते थे | बड़े होने के साथ-ही लाल बहादुर शास्त्री विदेशी दासता से आजादी के लिए देश के संघर्ष में अधिक रुचि रखने लगे।
वे भारत में ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रहे भारतीय राजाओं की महात्मा गांधी द्वारा की गई निंदा से अत्यंत प्रभावित हुए।
भारतीय आंदोलनों में शास्त्री जी का योगदान-
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए अपने देशवासियों से आह्वान किया था | इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था।
उनके इस निर्णय ने उनकी मां की उम्मीदें तोड़ दीं। उनके परिवार ने उनके इस निर्णय को गलत बताते हुए उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वे इसमें असफल रहे। लाल बहादुर ने अपना मन बना लिया था।
उनके सभी करीबी लोगों को यह पता था कि एक बार मन बना लेने के बाद वे अपना निर्णय कभी नहीं बदलेंगें | ऐसा इसलिए क्योंकि बाहर से विनम्र दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से चट्टान की तरह दृढ़ हैं।
शास्त्री जी का संक्षिप्त राजनैतिक परिचय-
अपने मंत्रालय के कामकाज के दौरान भी वे कांग्रेस पार्टी से संबंधित मामलों को देखते रहे | उसमें उन्होंने कांग्रेस को अपना भरपूर योगदान दिया।
1952, 1957 एवं 1962 के आम चुनावों में पार्टी की निर्णायक एवं जबर्दस्त सफलता में उनकी सांगठनिक प्रतिभा एवं चीजों को नजदीक से परखने की उनकी अद्भुत क्षमता का बड़ा योगदान था।
लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। अपने गुरु महात्मा गाँधी के ही लहजे में एक बार उन्होंने कहा था – “मेहनत प्रार्थना करने के समान है।”
महात्मा गांधी के समान विचार रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ पहचान हैं।
What is prize money given with Bharat Ratna ?
भारत रत्न पुरस्कार के तहत कोई धनराशि नहीं दी जाती। व्यक्ति को भारत सरकार की तरफ से एक प्रमाणपत्र और एक तमगा दिया जाता है।
I appreciate for this …… Informative lines
इसके हकदार किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह थे लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने नही सोचा
चौधरी साहब की लिखी हुई किताब विदेशों में पढ़ाई जाती हैं
और यहां लोगों को राजनीति से ही फुरसत नही